फिर मांझी-कुशवाहा और सहनी मिल बैठे साथ, पकी महागठबंधन के भविष्य की खिचड़ी

फिर मांझी-कुशवाहा और सहनी मिल बैठे साथ, पकी महागठबंधन के भविष्य की खिचड़ी

PATNA :  बिहार महागठबंधन के लक्षण ठीक नहीं लग रहे हैं। मांझी-कुशवाहा और सहनी की तिकड़ी लगातार आरजेडी पर कोर्डिनेशन कमिटी बनाने का दबाव बना रही है। आज फिर एक बार तीनों नेता मिले और साथ मिलकर महागठबंधन के भविष्य की खिचड़ी पकायी।


बैठक के बाद हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने फिर वहीं पुराना राग दोहराया है। उन्होनें साफ कर दिया है अब बिना कोर्डिनेशन कमिटी के आगे बात नहीं बनेगी। मांझी की मांग से आरएलएसपी सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा और वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी भी इत्तेफाक रखते हैं। मांझी ने कहा कि इस मसले पर अब आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव से बात होगी। उन्होनें कहा कि हमने आरजेडी को इस महीने तक का वक्त दिया है। इसके बाद भी अगर कुछ नहीं होता है तो महागठबंधन की सभी पार्टियां अपना-अपना फैसला लेने को स्वतंत्र होंगी।


हाल के दिनों में जिस तरह तीनों नेताओं की नजदीकियां बढ़ी है उससे अब ये साफ होने लगा है कि ये तीनों ही मिल कर कुछ नया गुल खिलाने वाले हैं। अब तो इन नेताओं के तेवर भी तल्ख होने लगे हैं और खुलकर आरजेडी का विरोध भी शुरू कर दिया है। बार-बार ये पार्टियां आरजेडी पर मनमानी का आरोप लगाती रही हैं। पिछले दिनों की बात करें तो तेजस्वी यादव के बॉडी लैंग्वेज ने भी इन नेताओं को अंदर तक आहत किया था। सीएए-एनआरसी पर विरोध के दौरान तेजस्वी जिस तरह से इन नेताओं को इग्नोर कर निकल गये थी उसकी टीस भी अभी इनके अंदर बाकी है।


कल ही आरएलएसपी नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने जिस तल्ख तेवर के परिचय दिए थे इससे भी पता चल गया था कि वे भी नाखुश हैं। उपेन्द्र कुशवाहा ने आरजेडी की यादववाद वाली राजनीति को चुनौती दे दी थी। उन्होनें पार्टी पदाधिकारियों के साथ मीटिंग के बाद कहा था कि अगर मैं य़ादवों की राजनीति करूं तो मुझे ऐसा करने से कोई रोक नहीं सकता। वहीं एक अन्य सहयोगी कांग्रेस भी तेजस्वी को नेता मानने को तैयार नहीं दिखती। कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि अभी कांग्रेस अलाकमान का ध्यान मध्य प्रदेश संकट और राज्यसभा चुनाव की ओर हैं उधर से मामला खत्म होते ही बिहार का फैसला होगा।