पाठक के फैसले से सरकार की हो रही फजीहत ! बोले शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ... टीचर का नहीं हो सकता बाल- बांका, जल्दबाजी में नहीं करें कोई काम

पाठक के फैसले से सरकार की हो रही फजीहत ! बोले शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ... टीचर का नहीं हो सकता बाल- बांका, जल्दबाजी में नहीं करें कोई काम

PATNA : बिहार के सरकारी स्कूलों में छुट्टियों में कटौती का फैसला वापस लिए जाने के बाद राजनीतिक सरगर्मी बढ़ती हुई नजर आ रही है। इसी कड़ी में अब राज्य के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने अपने ही विभाग के अधिकारियों को भरे मंच से नसीहत दे दी है। शिक्षा मंत्री ने विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक का नाम लिए बिना ही कहा कि - अधिकारी के जल्दबाजी में लिए गए निर्णय से सरकार की किरकिरी हो रही है। 


दरअसल, शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने शिक्षक दिवस के मौके पर मंगलवार को पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की। इस समारोह में अच्छा काम करने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया गया। शिक्षकों के सम्मान के बाद अपने संबोधन में चंद्रशेखर ने कहा कि- विभाग के अधिकारी जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें। अधिकारी के जल्दी में लिए गए निर्णय से सरकार की किरकिरी हो रही है। 


इसके आगे मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि-  शिक्षा को लेकर सुधार अतिआवश्यक है। लेकिन, इससे किसी तरह शिक्षक को परेशान किया जाएगा तो उसपर ध्यान दिया जाएगा। कोई भी व्यक्ति किसी का बाल भी बांका  नहीं कर सकता है। निरीक्षण के नाम पर सुधार के लिए उठाया कदम उचित है। लेकिन किसी तरह की दंडनात्मक करवाई किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगा। इसको लेकर ख़ुद सीएम -नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव सबकुछ देख रहे है। स्कूलों का निरीक्षण सुधार के लिए होना चाहिए, न कि दंडात्मक कार्रवाई करने के लिए। उन्होंने शिक्षकों का हौंसला बढ़ाते हुए कहा कि टीचर्स पूरे मन से बच्चों को पढ़ाएं। शिक्षकों का कोई बाल बांका भी नहीं कर सकेगा।


आपको बताते चलें कि, शिक्षा मंत्री और विभाग के एसीएस केके पाठक के बीच लंबे समय से तनातनी चल रही है। अपर मुख्य सचिव ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए बीते दो-तीन महीने में कई तरह के बदलाव किए। इस दौरान शिक्षकों और कर्मचारियों पर सख्ती भी बरती गई। इससे उनमें काफी रोष है। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के आप्त सचिव और केके पाठक एवं अन्य अधिकारियों के बीच लेटर वॉर भी हुआ था। इसके बाद कुछ दिनों तक शिक्षा मंत्री अपने दफ्तर भी नहीं गए।