नीतीश से मिले कुशवाहा लेकिन नहीं बनी बात, जेडीयू में रालोसपा के विलय पर राजी नहीं हुए उपेंद्र

नीतीश से मिले कुशवाहा लेकिन नहीं बनी बात, जेडीयू में रालोसपा के विलय पर राजी नहीं हुए उपेंद्र

PATNA : रविवार की रात फिर से नीतीश कुमार से मिलने उनके आवास पहुंचे उपेंद्र कुशवाहा की डील फाइनल नहीं हो पायी. नीतीश चाह रहे हैं कि कुशवाहा अपनी पार्टी का विलय जेडीयू में कर दें. उपेंद्र कुशवाहा इसके लिए जो डिमांड कर रहे थे वह पूरी नहीं हुई. लिहाजा दोबारा हुई मुलाकात भी बेनतीजा ही रही.


कुशवाहा ने कहा- हमारी राजनीति अलग
रविवार की रात उपेंद्र कुशवाहा तकरीबन एक घंटे तक सीएम आवास में बैठे रहे. नीतीश कुमार से उनकी बातचीत होती रही. जब बाहर निकले तो फर्स्ट बिहार की टीम ने उन्हें रोका. पूछा-मुलाकात हुई, क्या बात भी बनी. उपेंद्र कुशवाहा बोले-उनके नीतीश कुमार से व्यक्तिगत संबंध हैं. वे संबंध आज के नहीं हैं. पहले से ही नीतीश कुमार उनके भाई थे और आज भी भाई हैं. आगे भी नीतीश कुमार उनके बड़े भाई ही रहेंगे. लेकिन दोनों की राजनीति अलग है. नीतीश कुमार की अलग राजनीति है, उपेंद्र कुशवाहा की अलग.


नहीं बनी बात
उपेंद्र कुशवाहा की बातों से साफ हो गया कि दोनों नेताओं के बीच बात नहीं बनी. जानकारों की मानें तो बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से ही नीतीश कुमार ये कोशिश कर रहे हैं कि उपेंद्र कुशवाहा अपनी पार्टी का विलय जेडीयू में कर लें. नीतीश कुमार ने जेडीयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में ये एलान भी किया था कि कई पार्टियों का विलय जेडीय़ू में होगा. तब भी इसका मतलब यही निकाला गया कि उनकी नजर उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी पर है. लेकिन रविवार को उपेंद्र कुशवाहा ने जो कहा उसका मतलब यही है कि दोनों की राजनीति एक नहीं हुई है.


दरअसल खबर ये आ रही है कि नीतीश कुमार की ओर से कुशवाहा को विधान पार्षद और मंत्री बनाने का ऑफर दिया गया है. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा की डिमांड ज्यादा की है. रास्ता निकालने के लिए कम से कम दोनों नेताओं के बीच दो दफे मुलाकात हो चुकी है. इसके अलावा फोन पर भी कई दफे बातचीत हुई है. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा की डिमांड पूरी नहीं हो रही है लिहाजा बात बन रही है.


पहले से चोट खाये हैं उपेंद्र कुशवाहा
काफी दिनों से नीतीश कुमार के करीबी रहे उपेंद्र कुशवाहा 2006 में जेडीयू से अलग हो गये थे. उन्होंने तब लोक समता पार्टी बनायी थी. नीतीश के कहने पर उन्होंने उस पार्टी का विलय जेडीयू में कर दिया था. बदले में नीतीश कुमार ने ढेर सारे आश्वासन दिये थे. लेकिन बाद में वे पूरे नहीं हुए. लिहाजा फिर से उन्हें पार्टी छोड़नी पड़ी थी. उसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी बनायी. अब एक बार फिर उपेंद्र कुशवाहा पुराने वाकये की पुनरावृति नहीं होने देना चाहते हैं.


कभी हां-कभी ना
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव के ठीक बाद उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार से मुलाकात की थी. खबर आयी थी कि कुशवाहा अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी का विलय जेडीयू में कर सकते हैं. हालांकि कुशवाहा ने अपनी पार्टी के विलय की संभावना से इंकार कर दिया था. लेकिन उनके तेवर नीतीश कुमार को लेकर बदल गये थे. कुशवाहा ने नीतीश कुमार के पक्ष में कई दफे बयान भी दिया था. 


वैसे कुशवाहा भी राजनीतिक अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. लोकसभा चुनाव के बाद  विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी जमींदोज होने के कगार पर पहुंच गयी है. उपेंद्र कुशवाहा के जिन सहयोगियों ने तमाम बुरे दिनों में उनका साथ दिया था वे सब साथ छोड़ कर जा चुके हैं. ऐसे में उनके पास भी नीतीश कुमार के साथ जाने का विकल्प बढ़िया है. लेकिन वे इसके बदले में ज्यादा हिस्सेदारी मांग रहे हैं.