नीतीश की 'समाधान यात्रा' को आरसीपी ने 'दिन कट्टू यात्रा' बताया, कहा-पता नहीं क्या समाधान निकाल रहे मुख्यमंत्री

नीतीश की 'समाधान यात्रा' को आरसीपी ने 'दिन कट्टू यात्रा' बताया, कहा-पता नहीं क्या समाधान निकाल रहे मुख्यमंत्री

MUNGER: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इनदिनों समाधान यात्रा पर हैं। समाधान यात्रा के दौरान वे आज औरंगाबाद और सासाराम में थे। नीतीश की समाधान यात्रा को पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने दिन कट्टू यात्रा करार दिया है। उनका मानना है कि नीतीश कुमार दिन काट रहे हैं। समाधान यात्रा के दौरान ना तो वे जनता से मिलते हैं ना ही क्षेत्र के एमपी-एमएलए से भेट करते हैं ऐसे में नीतीश कुमार क्या समाधान निकाल रहे हैं हमें नहीं पता।


इतना जरूर मालूम है कि इससे बिहार की जनता का नुकसान हो रहा है। जनता की डर से नीतीश लोगों से नहीं मिल रहे हैं। नीतीश कुमार को ऐसा लग रहा है कि पटना में रहेंगे तो लोग दबाव डालेगा इससे अच्छा है बाहर रहा जाए। ना एमपी से मिलते है ना विधायक से पता नहीं क्या समाधान निकाल रहे हैं।  


जेडीयू को जहाज और नीतीश को कैप्टन बताते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने कहा कि कैप्टन की गलती और उनके अहंकार के कारण समुन्द्र में जहाज डूब रहा है और उसमें सवार यात्री परेशान हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि वे डूबते हुए जहाज पर सवार नहीं होंगे। परिवर्तन और विकल्प हमेशा रहता है इतना तो स्पष्ट है कि वे अब किसी भी कीमत पर महागठबंधन में नहीं जाएंगे।  


आरसीपी सिंह ने कहा कि बिहार में माइंडसेट है उसे बदलना होगा। साढ़े चार करोड़ की बिल्डिंग बनी लेकिन एक बच्चा भी इस बिल्डिंग में नहीं पढ़ रहा है। इसका लाभ बच्चों को नहीं मिल पा रहा है। सरकार के साथ साथ निजी क्षेत्र और किसान पर फोकस करना होगा। बच्चों से पूछिये कि वे क्या बनना चाहते है तो बोलेगा कि हम आईएएस, आईपीएस डॉक्टर और इंजीनियर बनना चाहते है लेकिन एक भी बच्चा यह नहीं कहेगा कि वो उद्यमी बनना चाहता हैं। जब तक उद्यमी नहीं बनेंगे तब कैसे बिहार की बेरोजगारी खत्म होगी। 


आरसीपी सिंह आगे किसान की बात करते हैं। उनका कहना है कि देश में किसान परेशान हैं। धरती माता बंजर हो चुकी है। यूरिया खाद का ज्यादा प्रयोग करने से लोग कैंसर के शिकार हो रहे हैं। सबसे ज्यादा कैंसर के मरीज पंजाब और उसके बाद बिहार में है। इसलिए उन्होंने नेचुरल खेती की ओर जाने पर बल दिया। उनका कहना था कि हिमाचल प्रदेश,आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, तमिलनाडु और ओडिशा में किसान नेचुरल खेती कर रहे हैं। बिहार में भी इस पर फोकस करना होगा। इससे बढ़िया कुछ नहीं हो सकता। जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। खेती लाभ का पेशा हो जाएगा। जिससे किसानों को बहुत फायदा होगा।