क्यों झूठ बोल रहे हैं मंत्री सुरेश शर्मा, अनुपम सुमन ने नगर निगम को डूबोया या सरकार की लाज बचा दी? देखिये क्या है हकीकत

क्यों झूठ बोल रहे हैं मंत्री सुरेश शर्मा, अनुपम सुमन ने नगर निगम को डूबोया या सरकार की लाज बचा दी? देखिये क्या है हकीकत

PATNA: पटना में आये जल प्रलय के बाद पूरी सरकार को शर्मसार कर चुके बिहार के नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा आखिरकार साबित क्या करना चाह रहे हैं. मंत्री ने आज पटना के डूबने के लिए नगर निगम के पूर्व कमिश्नर अनुपम सुमन को जिम्मेवार करार दिया. अनुपम सुमन सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे चुके हैं. लेकिन हकीकत ये है कि नगर निगम के पूर्व आयुक्त अनुपम सुमन ने जो इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया था उसी ने पटना को पूरी तरह से तबाह होने से बचा लिया. फर्स्ट बिहार की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

तबाही के बाद सोये रहने वाले मंत्री सुरेश शर्मा के आरोप 

दरअसल पटना में त्रासदी के बाद बेनकाब हुए मंत्री सुरेश शर्मा ने राजधानी को डूबोने का आरोप पूर्व नगर आयुक्त पर मढ दिया. मंत्री ने कहा कि पूर्व आयुक्त अनुपम सुमन ने कोई काम नहीं किया. वे मंत्री की बात सुनने के बजाय सीएम हाउस से कमांड लेते थे. अनुपम सुमन ने अगस्त में अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. उनके इस्तीफे के एक महीने बाद पटना में जल प्रलय आया. तबाही से एक सप्ताह पहले सरकार को मौसम विभाग ने चेतावनी दे दी थी. मंत्री आराम से घर में बैठे रहे. हद देखिये के तबाही मचने के बाद भी मंत्री को घर से बाहर निकलने में दो दिन से ज्यादा का समय लगा,

मंत्री के आरोपों की हकीकत क्या है

अब ये जानिये कि मंत्री के आरोपों की हकीकत क्या है. पूर्व आयुक्त अनुपम सुमन के कार्यकाल में ही नगर निगम ने 6 डीवाटरिंग मशीन खरीदे थे. इस मशीन का काम होता है जलजमाव वाले इलाके से तेजी से पानी निकालना. ये अलग बात है कि मशीन की खरीददारी के बाद अनुपम ने इस्तीफा दे दिया और नगर निगम डीवाटरिंग मशीन के लिए पाइप नहीं खरीद पाया. सरकार का हाल तो ये था तबाही मचने के चार दिन बाद डीवाटरिंग मशीन के लिए पाइप खरीद कर मंगवाया गया. 

नगर निगम के सूत्र बताते हैं कि पूर्व कमिश्नर ने ही राजधानी के लिए 75 जेसीबी मशीन, 6 पशु वाहन, 75 बॉब कैट मशीन और 112 टाटा 407 की खरीददारी की थी. पटना जब त्रासदी में फंसा तो इन्हीं मशीनों ने लाखों लोगों को बचाया. सत्ता का सुख ले रहे मंत्री को ये शायद ये आंकडे भी पता नहीं होंगे. ये भी पता नहीं होगा कि एक साल पहले तक पटना नगर निगम भाड़े के ट्रैक्टर के सहारे चल रहा था. अगर उस दौर में ये तबाही आयी होती यो क्या कयामत मचती इसका अंदाजा लगा पाना मुमकिन नहीं है.