लालू से नाउम्मीद हुए शरद महागठबंधन का छोड़ेंगे साथ, क्या घर वापसी की बची है उम्मीद ?

लालू से नाउम्मीद हुए शरद महागठबंधन का छोड़ेंगे साथ, क्या घर वापसी की बची है उम्मीद ?

PATNA : राज्यसभा की चौखट पार करने के लिए लालू दरबार में हाजिरी लगाना भी शरद यादव के काम नहीं आ पाया। बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद शरद यादव ने नीतीश कुमार के खिलाफ जाते हुए लालू का समर्थन किया था शरद के लिए लालू का प्रेम है जेडीयू से विदाई का कारण बन गया लेकिन लालू ने आखिरकार राज्यसभा में शरद को नाउम्मीद कर दिया.


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लालू का दिल नहीं पसीजा

जेडीयू से अलग होने के बाद अपनी नई पार्टी बनाने वाले शरद यादव को लालू ने पहले लोकसभा का चुनाव अपनी पार्टी के सिंबल पर लड़ाया और फिर जब चुनाव हार गए तो शरद की लोकतांत्रिक जनता दल का विलय भी आरजेडी में नहीं होने दिया. लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद शरद लालू की बेरुखी बर्दाश्त करते रहे लेकिन जब राज्यसभा चुनाव की आहट शुरू हुई तो शरद लालू के दरबार में पहुंच गए. आरजेडी सुप्रीमो से मुलाकात कर मन की बात बताई लेकिन लालू का दिल नहीं पसीजा. आखिरकार आरजेडी ने शरद यादव को राज्यसभा नहीं भेजने का फैसला किया. अब लालू से ना उम्मीद हुए शरद महागठबंधन से किनारा कर सकते हैं सड़क के करीबी सूत्रों की माने तो अगले हफ्ते पटना पहुंचने के बाद शरद यादव अपनी अगली रणनीति का खुलासा करेंगे.

शरद में आरजेडी की कोई दिलचस्पी नहीं

यूं तो आरजेडी से अलग होने के बाद शरद यादव के पास विकल्प की कमी है शरद नगर लालू से हाथ छुड़ाते भी हैं तो उन्हें किसी तीसरे मोर्चे मैं अपना विकल्प तलाशना होगा. विधानसभा चुनाव के पहले अगर महागठबंधन का स्ट्रक्चर बिगड़ता है तो ऐसे में शरद यादव कुशवाहा और मांझी के साथ कोई नया समीकरण बना सकते हैं. सड़क के पास अंतिम विकल्प घर वापसी का है लेकिन यह रास्ता इतना आसान भी नहीं दिखता. शरद यादव को लेकर जेडीयू मैं अब तक कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है. ऐसे में शरद आगे कौन सी राह चुनते हैं यह देखना दिलचस्प होगा.