JDU में सड़क पर हो रहे घमासान के बीच नीतीश बोले- अरे ई सब कुछ नहीं है, पार्टी में सब सही है

JDU में सड़क पर हो रहे घमासान के बीच नीतीश बोले- अरे ई सब कुछ नहीं है, पार्टी में सब सही है

PATNA : नीतीश कुमार की अनुशासित पार्टी में जमकर तमाशा हो रहा है. आरसीपी सिंह समर्थक पार्टी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को मीडिया में आकर जलील कर रहे हैं. आरसीपी सिंह के कुछ समर्थकों ने तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को ही खारिज कर दिया. सामानांतर शक्ति प्रदर्शन हो रहा है और इन सबके बीच नीतीश कुमार बोले-अरे ई सब कुछ नहीं है. पार्टी में कुछ गड़बड़ नहीं है.


दरअसल मीडिया ने आज नीतीश कुमार से सवाल पूछा था कि जेडीयू में क्या हो रहा है. अलग अलग खेमे शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं. नीतीश ने जो जवाब दिया, उसे हूबहू पढिये “अरे ई सब फालतू बात है. बेकार बात है. जेडीयू में क्या शक्ति प्रदर्शन करेगा कोई. कोई अध्यक्ष बने तो उनका स्वागत कर रहा है. कोई केंद्र में मंत्री बने तो उनका स्वागत कर रहा है. मीडिया में शक्ति प्रदर्शन की खबर देखते हैं तो हमको तो हंसी आती है. ई सब कोई चीज होता है. ई सब का कोई मतलब नहीं. आप जान लीजिये कि पार्टी में कोई मतभेद की कोई बात नहीं है. किस चीज का मतभेद होगा. ई सब भ्रम में मत रहिये. इ सब वही बोलेगा जो कुछ जानता नहीं है.”


नीतीश को खबर नहीं है या फिर जान कर आंखें मूंद रखी है
दरअसल केंद्र सरकार में जेडीयू कोटे से मंत्री बने रामचंद्र प्रसाद सिंह उर्फ आऱसीपी सिंह आज ही पटना पहुंचे हैं. उनके स्वागत के नाम पर जो सियासी तमाशा हुआ उसने जेडीयू के भीतर चल घमासान की कलई खोल दी है. आऱसीपी सिंह के स्वागत के लिए पार्टी के एक धड़े ने जी-जान झोंक दिया. कोशिश ये थी कि उस सियासी ड्रामे को पछाड़ दिया जाये तो 6 अगस्त को तब हुआ था जब ललन सिंह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पटना आये थे. उनके स्वागत में जो कुछ हुआ उसे पछाड़ने के लिए आरसीपी सिंह समर्थकों ने हर कोशिश की. ये दीगर बात है कि आऱसीपी सिंह औऱ उनके समर्थक अपने लक्ष्य में सफल नहीं हो पाये. 



उपेंद्र कुशवाहा को किसने कराया जलील
फर्स्ट बिहार ने कल ही सवाल पूछा था कि आऱसीपी सिंह के स्वागत के बहाने पार्टी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को आखिरकार किसने जलील कराया. अगर नीतीश कुमार आरसीपी सिंह के स्वागत के नाम पर हुए तमाशे को सही बता रहे हैं तो इसका मतलब ये भी निकलता है कि उपेंद्र कुशवाहा से लेकर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को खारिज करने की जो कोशिश की गयी, उस पर भी नीतीश कुमार मुहर लगा रहे हैं. वह भी तब जब जेडीयू की ओर से ही ये मैसेज दिया गया था कि आरसीपी सिंह नीतीश कुमार को गच्चा देकर मंत्री बन गये. उन्होंने बीजेपी से सेटिंग कर ली औऱ नीतीश से बगैर पूछे केंद्र में मंत्री बन गये. 


दरअसल एक महीने से ज्यादा हो गये जब आरसीपी सिंह केंद्र सरकार में मंत्री बने थे. लेकिन पटना या फिर कहें बिहार की धरती पर उनके कदम 16 अगस्त को पड़े. उनके स्वागत में पटना का बेली रोड होर्डिंग-बैनर औऱ पोस्टर से पूरी तरह पाट दिया गया. तस्वीर ऐसी दिखी मानो आऱसीपी सिंह का कद नीतीश कुमार से भी बडा हो गया है. लेकिन तमाम पोस्टर होर्डिंग औऱ बैनर में एक बात कॉमन रही. उनमें आऱसीपी सिंह की बड़ी-बडी तस्वीरें लगी, जेडीयू के कई छोटे-बड़े नेताओं की भी तस्वीर थी औऱ खास तौर पर जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष यानि पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले उपेंद्र कुशवाहा की तस्वीर गायब कर दिया गया. 


मीडिया में आकर उपेंद्र कुशवाहा को हैसियत बतायी गयी
हद सिर्फ ये नहीं रही कि उपेंद्र कुशवाहा की तस्वीर होर्डिंग-बैनर से गायब कर दी गयी. दरअसल आरसीपी सिंह के स्वागत का बड़ा बंदोबस्त अभय कुशवाहा ने संभाल रखा था. अभय कुशवाहा पहले विधायक हुआ करते थे. आरसीपी सिंह के दरबार में अक्सर नजर आते थे. वही अभय कुशवाहा ने मीडिया के सामने बयान दिया-हमने जानबूझ कर उपेंद्र कुशवाहा की तस्वीर नहीं लगायी है. वे जेडीयू के नेता नहीं हो सकते. वे पार्टी के पद धारक हो सकते हैं नेता नहीं. नेता तो या तो नीतीश कुमार हैं या फिर आरसीपी सिंह. 


उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ बयान देकर स्टार बन गये अभय
नीतीश कुमार अपनी जिस पार्टी को अनुशासित पार्टी होने का तमगा देते रहे हैं उस पार्टी की पोल अभय कुशवाहा ने खोल दिया. मीडिया के सामने खुले तौर पर पार्टी के संसदीय बोर्ड को बेइज्जत करने वाले अभय कुशवाहा ऐसा करने के बाद स्टार बन गये. पटना की सड़कों पर आऱसीपी सिंह के स्वागत में कई होर्डिंग लगाने वाले कई दूसरे नेताओं ने आऱसीपी सिंह औऱ नीतीश कुमार के साथ अभय कुशवाहा की भी तस्वीर लगायी है. और नीतीश की अनुशासित पार्टी ये तमाशा देखती रही. 


अब सियासी गलियारे में सवाल ये उठ रहा है कि ये माजरा क्या है. आऱसीपी सिंह के सबसे बड़े सिपाहसलार अभय कुशवाहा ने तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह तक को खारिज करने की कोशिश की थी. अभय कुशवाहा के पहले के होर्डिंग में ललन सिंह तक की तस्वीर नहीं थी. उस होर्डिंग में जेडीयू सरकार में शामिल निर्दलीय मंत्री तक की तस्वीर लगायी गयी थी लेकिन ललन सिंह औऱ उपेंद्र कुशवाहा की नहीं. हालांकि राष्ट्रीय अध्यक्ष की बेईज्जती पर पार्टी बड़ी असहज हो गयी थी. लिहाजा होर्डिंग-बैनर में बाद में ललन सिंह की तस्वीर लगायी गयी. 


लेकिन मूल सवाल ये है कि पार्टी की कलई खोल देने वाले अभय कुशवाहा के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गयी. जेडीयू के जानकार बताते हैं कि कार्रवाई की छोड़िये उन्हें समझाने या फटकार लगाने की औपचारिकता तक नहीं निभायी गयी. खुद नीतीश कुमार से मीडिया ने जब अभय कुशवाहा को लेकर सवाल पूछा था तो वे उसे ऐसे टाल गये जैसे ये कोई मामला ही नहीं है. कुल मिलाकर मैसेज ये गया कि अभय कुशवाहा जो कर रहे हैं उसमें पार्टी की सुप्रीमो तक की रजामंदी है. ऐसे में जेडीयू के दूसरे छोटे बड़े नेताओं ने वही राह पकड़ी जो अभय कुशवाहा ने पकड़ी थी.


आऱसीपी सिंह के स्वागत में पूरी पार्टी लगी रही
लेकिन बात इतनी ही नहीं है. इसी 6 अगस्त को ललन सिंह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनकर पटना आये थे. उनके समर्थकों ने उनका जोरदार स्वागत किया था. इसके लिए पार्टी की ओऱ से कोई दिशा निर्देश या पत्र जारी नहीं किया गया था. लेकिन आरसीपी सिंह के स्वागत के लिए इंतजाम को जानिये. पार्टी के प्रदेश कार्यालय से बकायदा पत्र जारी हुआ. प्रदेश कार्यालय सचिव संजय सिन्हा की ओर से जारी पत्र पूरे बिहार में जेडीयू के हर छोटे-बड़े नेता को भेजा गया. लिखा था- 16 अगस्त को आऱसीपी सिंह पटना आ रहे हैं, उनके स्वागत में शामिल होने पहुंचे. फर्स्ट बिहार के पास जेडीयू कार्यालय की ओर से जारी पत्र की कॉपी है.


सिर्फ पत्र ही जारी नहीं हुआ है. जेडीयू के प्रदेश कार्यालय का काम देखने वाले पदाधिकारियों की एक टीम हर जिले में चुन चुन कर पार्टी के नेताओं को फोन करती रही. 16 अगस्त को आरसीपी सिंह आ रहे हैं उनके स्वागत में पूरे दमखम के साथ पहुंचे. अलग अलग टास्क दिये गये. जिसकी जितनी हैसियत थी उतनी गाड़ी और आदमी के साथ पहुंचने को कहा गया. उन्हें टारगेट दिया गया और साथ में ये चेतावनी भी कि इस पर नजर रखी जायेगी कि वे पहले से तय करार के मुताबिक 16 अगस्त को गाड़ी औऱ आदमी लेकर पहुंचे या नहीं.


दिल्ली से आऱसीपी सिंह खुद मैनेजमेंट देखते रहे
ये तमाम कवायद सिर्फ पटना से नहीं हो रही थी. दिल्ली से खुद आऱसीपी सिंह औऱ उनके साथ रहने वाले लोग ताबडतोड़ कॉल करते रहे. फर्स्ट बिहार  से बात करते हुए जेडीयू के कई नेताओं ने स्वीकारा कि उनके पास आऱसीपी बाबू का कॉल आय़ा था. 16 अगस्त को मजबूती के साथ पहुंचने के लिए. दिल्ली में आरसीपी सिंह के साथ रहने वाले लोग का फोन 6 अगस्त से 16 अगस्त एक मिनट भी खाली नहीं रहा. 


इस तमाशे के पीछे आऱसीपी सिंह हैं या कोई औऱ
ज्यादा दिनों की बात नहीं है जब जेडीयू में ये प्रचारित कराया गया कि आरसीपी सिंह अपने लेवल से सेटिंग करके केंद्र में मंत्री बन गये. नीतीश कुमार बहुत नाराज हैं और इस कारण उन्होंने जबर्दस्ती आरसीपी सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ने को कहा औऱ ललन सिंह को अध्यक्ष बनाया. जेडीयू के बहुत सारे लोगों ने इस बात पर यकीन कर लिया. हो सकता है कि आऱसीपी सिंह ने बीजेपी से सेटिंग कर खुद को मंत्री बनवा लिया.


लेकिन अब जो पटना की सडकों पर जो कुछ हुआ. जिस तरीके से पूरी पार्टी को आऱसीपी सिंह के स्वागत के लिए झोंक दिया गया. वो भी क्या आऱसीपी सिंह की सेटिंग है. तो इसका मतलब मान लिया जाना चाहिये कि नीतीश कुमार जिससे इतना नाराज हैं, जिसने उन्हें धोखा दिया वह जेडीयू पार्टी में नीतीश कुमार से ज्यादा ताकतवर हो गया. नीतीश कुमार इतने बेबस हो गये हैं कि जिन नेताओं को उन्होंने पार्टी चलाने की कमान सौंपी है यानि ललन सिंह औऱ उपेंद्र कुशवाहा, उन्हें जलील किया जा रहा है औऱ नीतीश कुमार कुछ नहीं कर पा रहे हैं. जेडीयू पार्टी में अब एक पत्ता भी आऱसीपी सिंह की मर्जी से खड़कता है. 


बस यही सवाल आपको तमाम वह कहानी बता देगा जो जेडीयू में पर्दे के पीछे खेला जा रहा है. आखिरकार कौन ये नहीं जानता है कि नौकरशाह से नेता बन गये आरसीपी सिंह के पास कितना बड़ा वोट बैंक है. किसे नहीं मालूम है कि जेडीयू का मतलब नीतीश कुमार है. आरसीपी सिंह के जरिये किसी को कुछ लाभ भी मिलना होगा तो वह नीतीश कुमार से ही मिलेगा. क्या ये मुमकिन है कि नीतीश कुमार जिससे नाराज हों उसे कोई लाभ सरकार या पार्टी में मिल जाये.


औऱ मौजूदा दौर की राजनीति में कोई बिना लालसा के दुआ सलाम तक नहीं करता. पटना की सड़कों पर अगर जेडीयू के नेता अपनी ही पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के साथ साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष का जुलूस निकाल रहे हैं तो यकीन मानिये कि मौन सहमति ही सही उपर से ग्रीन सिग्नल जरूर है. वर्ना अगर नीतीश कुमार ने एक बार आंखें तरेरी होती तो आरसीपी सिंह के स्वागत में हो रहा सियासी तमाशा कब का समेटा जा चुका होता.


इस लंबी कहानी के अंत में एक जानकारी औऱ दे दें. पिछले 31 जुलाई को जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष को बदल दिया गया. लेकिन पार्टी का कोई पदाधिकारी नहीं बदला गया. फर्स्ट बिहार के पास जो खबर है उसके मुताबिक आऱसीपी सिंह ने अध्यक्ष पद छोडने से पहले चेतावनी दे डाली थी, पार्टी के तत्कालीन सिस्टम में कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिये. और हुआ यही कि ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद जेडीयू दफ्तर के चपरासी तक को नहीं बदला गया. जेडीयू के नेता शायद ये खुशफहमी पाल सकते हैं कि आरसीपी सिंह ने ये चेतावनी भी नीतीश की मर्जी के बगैर दिया था.