जेडीयू और नीतीश की अकड़ गायब: विधानसभा उपचुनाव के अपने प्रत्याशियों का एलान BJP से करवाया, भाजपा के सपोर्ट के बिना जीत बेहद मुश्किल

जेडीयू और नीतीश की अकड़ गायब: विधानसभा उपचुनाव के अपने प्रत्याशियों का एलान BJP से करवाया, भाजपा के सपोर्ट के बिना जीत बेहद मुश्किल

PATNA : बिहार विधानसभा चुनाव के बाद जेडीयू के नेता खुलकर बीजेपी को कोस रहे थे. जेडीयू की बैठकों में नीतीश की मौजूदगी में जेडीयू के दर्जनों नेता भाजपा को धोखेबाज बता रहे थे. जेडीयू की सभाओं में बीजेपी को कोसा जा रहा था. नीतीश कह रहे थे कि उनके खिलाफ साजिश हुई. लेकिन बिहार विधानसभा की दो सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं और ये दिलचस्प है कि उसी जेडीयू और नीतीश कुमार ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष से अपने उम्मीदवारों के नाम का एलान करवाया. दिलचस्प ये भी है कि नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जातिगत जनगणना जैसे मसले पर बीजेपी को कोसना भी भूल गये.


फंस गये नीतीश तो भाजपा याद आयी
दरअसल कोरोना के समय जेडीयू के दो विधायकों की मौत हो गयी. दरभंगा के कुशेश्वरस्थान से विधायक शशिभूषण हजारी और मुंगेर के तारापुर से विधायक मेवालाल चौधरी का निधन हो गया. खाली हुई दोनों सीटों पर उप चुनाव का एलान हो गया है. 30 नवंबर को उपचुनाव होना है. इसके लिए नामांकन की तारीख 8 अक्टूबर तक है. 2 नवंबर को परिणाम घोषित होगा.


सियासी जानकारों की मानें तो नीतीश कुमार दोनों सीटों पर हो रहे उप चुनाव में फंस गये हैं. कुछ दिनों पहले तक वे बीजेपी को खुलेआम कोसने में परहेज नहीं कर रहे थे. लेकिन उप चुनाव की घोषणा के साथ ही नीतीश और उनकी पार्टी के तेवर बदल गये हैं. कल पत्रकारों ने उनसे जातिगत जनगणना पर सवाल पूछा था तो उनके तेवर बदले हुए थे. जेडीयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा पिछले दो महीने से हर रोज नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बता रहे थे लेकिन तीन दिन से इस मसले पर कुछ नहीं बोला है.


लेकिन सबसे दिलचस्प आज का वाकया रहा. जेडीयू के दो उम्मीदवारों का नाम घोषित करने के लिए एनडीए की साझा प्रेस कांफ्रेंस बुलायी गयी. इस साझा प्रेस कांफ्रेंस में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, मंत्री विजय चौधरी समेत कई नेता मौजूद थे. लेकिन उन्होंने अपने उम्मीदवारों के नाम का एलान नहीं किया. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने एलान किया कि तारापुर से जदयू के उम्मीदवार राजीव सिंह होंगे तो कुशेश्वरस्थान से अमन हजारी को जेडीयू का टिकट दिया गया है. हम आपको बता दें कि ऐसा नजारा तो पिछले विधानसभा चुनाव में भी नहीं देखने को मिला था. बड़ा चुनाव था और सरकार बनने बिगड़ने की बात थी फिर भी 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी हो या जेडीयू सब ने अपने उम्मीदवारों के नाम का एलान अलग-अलग किया था. कोई साझा प्रेस कांफ्रेंस या साझा प्रेस रिलीज जारी कर उम्मीदवारों के नाम का एलान नहीं किया गया था.


बीजेपी नाराज हुई तो नीतीश की नैया डगमगायेगी
दरअसल विधानसभा की दो सीटों पर हो रहा उप चुनाव नीतीश के लिए अग्निपरीक्षा है. दोनों जेडीयू की सीटिंग सीट है. अगर फिर से वहां जेडीयू का उम्मीदवार नहीं जीता तो नीतीश कुमार फेल करार दिये जायेंगे. इस उप चुनाव से सरकार के गिरने का खतरा नहीं है. लेकिन पीएम मैटेरियल बताये जा रहे नीतीश कुमार के सीएम मैटेरियल होने पर सवाल जरूर लग जायेगा. नीतीश औऱ जेडीयू के दूसरे नेता ये समझ रहे हैं कि अगर बीजेपी ने खुल कर मदद नहीं की तो दोनों सीटों पर जीत हासिल करना बेहद मुश्किल होगा. 


लिहाजा आज ये बताने की कोशिश की गयी कि उप चुनाव जेडीयू नहीं बल्कि पूरा एनडीए लड रहा है. इसके दो इफेक्ट होंगे. अगर जेडीयू के उम्मीदवार जीत गये तो श्रेय नीतीश को. अगर हार हुई तो दोष सिर्फ नीतीश पर नहीं बल्कि बीजेपी पर भी आयेगा. खास बात ये भी रही कि एनडीए की इस प्रेस कांफ्रेंस में बीजेपी कोटे से मंत्री सम्राट चौधरी को खास तौर पर बुलाया गया था. तारापुर विधानसभा क्षेत्र जहां उप चुनाव होने वाला है वह सम्राट चौधरी की पारिवारिक सीट रही है. इस सीट से उनके पिता शकुनी चौधरी कई दफे विधायक रह चुके हैं. आज प्रेस कांफ्रेंस में सम्राट चौधरी से खास तौर पर बोलने को कहा गया. सम्राट ने कहा कि वे जेडीयू उम्मीदवार को पूरी मदद करेंगे.


जेडीयू ने आज भले ही अपनी इज्जत बचाने के लिए बीजेपी से अपने उम्मीदवारों के नाम का एलान कराया. लेकिन हकीकत यही है कि जेडीयू औऱ बीजेपी के कार्यकर्ताओं औऱ नेताओं के बीच इतनी दूरी आ गयी है जो पटना में बैठे नेताओं का साझा प्रेस कांफ्रेंस पाट नहीं सकता. इसका असर विधानसभा उप चुनाव पर भी पड़ना तय है. ऐसे में नीतीश इस अग्निपरीक्षा में पास हो पायेंगे या नहीं ये देखना दिलचस्प होगा.