बड़ी खबर : कोरोना से नहीं हुई पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की मौत, शव को दफनाने से रोका गया, जांच के लिए हाईकोर्ट जायेंगे परिजन

बड़ी खबर : कोरोना से नहीं हुई पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की मौत, शव को दफनाने से रोका गया, जांच के लिए हाईकोर्ट जायेंगे परिजन

DELHI: पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की मौत को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. शहाबुद्दीन की RT-PCR टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आयी है. यानि उन्हें कोरोना नहीं था. RT-PCR टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उनके शव को दफनाने से रोक दिया गया है. शहाबुद्दीन के परिजनों ने उनकी मौत में बड़ी साजिश होने का आरोप लगाते हुए कोर्ट जाने का एलान कर दिया है.


RT-PCR टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव
शहाबुद्दीन के पुत्र ओसामा ने बताया कि चार दिन पहले उनके पिता की RT-PCR टेस्ट आयी थी. इस टेस्ट की रिपोर्ट आज यानि रविवार को आयी. इस रिपोर्ट में उन्हें निगेटिव बताया गया है. इससे साफ हो गया है कि उनके पिता कोरोना पॉजिटिव नहीं थे. 


शव को दफनाने से रोका गय़ा
शहाबुद्दीन के परिजनों को उनके निगेटिव होने की खबर तब मिली जब वे शव को दफन करने के लिए अस्पताल से लेकर निकल चुके थे. रास्ते में शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा के मोबाइल पर ये खबर आयी. उसके बाद शव को दफनाने से रोक दिया गया. शव को वापस अस्पताल में लाया गया औऱ उसे मोर्चरी यानि शवगृह में रख दिया है. 


सोमवार को हाईकोर्ट जायेंगे परिजन
शहाबुद्दीन के परिजनों ने बताया कि सोमवार को वे हाईकोर्ट जायेंगे. हाईकोर्ट में वरीय अधिवक्ता सलमान खुर्शीद शहाबुद्दीन के परिजनों की ओर से पक्ष रखेंगे. शहाबुद्दीन के परिजनों की पहली मांग ये होगी कि अगर उनकी कोरोना से मौत नहीं हुई तो फिर मौत के सही कारणों का पता लगाया जाये. आखिरकार कैसे उन्हें कोरोना पॉजिटिव बताकर कोरोना वार्ड में भर्ती किया गया औऱ कोरोना का इलाज किया गया. दरअसल शहाबुद्दीन के परिजनों ने पहले भी आरोप लगाया था कि उन्हें जब जेल के अलग वार्ड में रखा जा रहा था तो कोरोना कैसे हो गया था.


गांव में अंतिम संस्कार की मांग
शहाबुद्दीन के परिजन हाईकोर्ट से ये भी मांग करेंगे कि शहाबुद्दीन के शव को दफन करने के लिए पैतृक गांव सिवान के प्रतापपुर ले जाने की इजाजत दी जाये. अब तक कोविड प्रोटोकॉल के तहत शव को दिल्ली से बाहर ले जाने की इजाजत नहीं दी गयी थी. शहाबुद्दीन के परिजनों का कहना है कि अब जब टेस्ट रिपोर्ट से ये साफ हो गया है कि उन्हें कोरोना नहीं था तो फिर शव को गांव ले जाकर दफनाने की इजाजत दे दी जाये.


गौरतलब है कि शनिवार को मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत हो गयी थी. तिहाड़ जेल प्रशासन के मुताबिक शहाबुद्दीन कोविड से संक्रमित हो गये थे जिसके बाद दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. इलाज के दौरान ही शनिवार को उनकी मौत हो गयी थी. 


इससे पहले शहाबुद्दीन के परिजनों ने पिछले बुधवार को ही दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उनका सही से इलाज कराने की मांग की थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को ही आम आदमी पार्टी की सरकार और जेल प्रशासन को निर्देश दिया था कि शहाबुद्दीन का इलाज ठीक से किया जाए. जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने दीन दयाल उपाध्याय हॉस्पिटल के सीनियर डॉक्टरों को शहाबुद्दीन की सेहत की निगरानी के लिए कहा था. 


शहाबुद्दीन 2004 में दोहरे हत्याकांड में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे थे. तिहाड़ जेल के डीजी संदीप गोयल के अनुसार शहाबुद्दीन 20 अप्रैल को कोरोना संक्रमित पाए गए थे और उसके बाद उन्हें डीडीयू अस्पताल में भर्ती किया गया था.