क्या नीतीश ने तेजस्वी यादव को हीरो बना दिया? बीजेपी को बेबस कर देने वाली नीतीश की पॉलिटिक्स की पड़ताल

क्या नीतीश ने तेजस्वी यादव को हीरो बना दिया?  बीजेपी को बेबस कर देने वाली नीतीश की पॉलिटिक्स की पड़ताल

PATNA : "जो BJP ये कहा करती थी कि हम CAA, NRC और NPR पर एक इंच पीछे नहीं हटेगी. उसी बीजेपी के सत्ता में रहते हमने विधानसभा से NRC और NPR के खिलाफ प्रस्ताव पारित करा लिया. हमने बीजेपी को एक हजार किलोमीटर पीछे खदेड़ दिया.देश में बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है जहां बीजेपी सत्ता में है और NRC/NPR के खिलाफ विधानसभा से प्रस्ताव पारित हो गया."


बिहार विधानसभा से आज जब NRC/NPR पर प्रस्ताव पास हुआ तो नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव का बयान यही था. विधानसभा में आज हुए घटनाक्रम से मैसेज भी ऐसा ही गया. दरअसल आरजेडी ने ही NRC, NPR और CAA पर कार्यस्थगन प्रस्ताव दिया था. उसके बाद ही इस पर चर्चा हुई और फिर विधानसभा से प्रस्ताव पास कर दिया गया.


नीतीश ने तेजस्वी को हीरो क्यों बनाया
दरअसल विधानसभा में हुए तमाम घटनाक्रम में एक बात तो साफ हो चुकी है कि इस पूरे प्रकरण में नीतीश ने बीजेपी को किनारे पर रखा था. बीजेपी के नेताओं को इस प्रस्ताव की भनक तक नहीं थी. अब इस प्रस्ताव का श्रेय तेजस्वी यादव ले जा रहे हैं. सवाल ये उठ रहा है कि नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को हीरो बनने का मौका क्यों दे दिया.


जानकारों की मानें तो नीतीश कुमार बेचैनी में हैं. उन्हें मुसलमान वोटरों की चिंता हद से ज्यादा सता रही है. पिछले कुछ दिनों में हुए घटनाक्रम से ये दिख भी रहा है. दो दिन पहले नीतीश कुमार दरभंगा में अली अशरफ फातमी के कार्यक्रम में जाकर मुसलमानों के लिए करोड़ों की योजना का एलान कर आये. उन्होंने एलान किया कि उनके मुख्यमंत्री रहते बिहार में कोई मुसलमानों का कोई कुछ नहीं बिगाड सकता है.


इसी कड़ी में कल विधानसभा की कार्यवाही की शुरूआत में विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने उर्दू में भाषण दिया.  विधानसभा के इतिहास में संभवतः ये पहला मौका था जब अध्यक्ष ने उर्दू में भाषण दिया. सियासी जानकारों को पता है कि नीतीश कुमार की मर्जी के बगैर अध्यक्ष ने ऐसा भाषण नहीं दिया होगा. नीतीश हर हाल में चाह रहे हैं कि मुसलमानों के बीच उनकी छवि अच्छी बनी रहे. वे जानते हैं कि अगला विधानसभा चुनाव वे मुसलमानों के वोटों के बगैर भी जीत सकते हैं. लेकिन उन्हें फिक्र उन दिनों की है जब बीजेपी से उनका साथ छूट जायेगा. कवायद इस बात की है कि तब उन्हें मुसलमान अछूत नहीं समझे.


नीतीश की इसी बेचैनी ने आज विधानसभा में NRC/NPR के खिलाफ प्रस्ताव पारित करवा दिया. वैसे ये नीतीश की आदत नहीं है कि अपने किसी काम का श्रेय वे किसी और को लेने दें. लेकिन उनकी बेचैनी इतनी ज्यादा थी कि वे इसका अंदाजा नहीं लगा पाये कि विधानसभा में पारित होने वाले प्रस्ताव से तेजस्वी को फायदा हो जायेगा.


रणनीति के तहत बीजेपी पर प्रेशर बना रहे हैं नीतीश
नीतीश कुमार जानते हैं कि झारखंड और दिल्ली में हारने के बाद बीजेपी भारी दबाव में है. CAA के खिलाफ देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शन से भी बीजेपी बैकफुट पर है. ऐसे में बीजेपी बिहार में गठबंधन तोड़ने का रिस्क नहीं ले सकती. लिहाजा नीतीश बीजेपी पर दबाव बनाकर अपना इमेज सुधारने में लगे हैं.


आरजेडी-जेडीयू में समझौते के आसार नहीं
वैसे इस पूरे प्रकरण से अगर आप ये अंदाजा लगा रहे हैं कि इससे नीतीश और लालू-तेजस्वी के बीच फिर से दोस्ती के आसार हैं तो आप जल्दबाजी में हैं. आरजेडी स्पष्ट कर चुकी है कि 2020 के चुनाव में हर  हाल में तेजस्वी यादव ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे. तेजस्वी यादव ने आज भरी विधानसभा में नीतीश कुमार को पलटू करार दिया. उधर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहने के लिए किसी हद तक जा सकते हैं. लिहाजा जेडीयू-आरजेडी के बीच तालमेल होने की फिलहाल कोई संभावना नजर नहीं आ रही है.