चिराग पासवान के तेवर देखकर नीतीश और बीजेपी के होश उड़े, LJP को अब 30 सीट का ऑफर, 43 सीट से कम पर राजी नहीं चिराग

चिराग पासवान के तेवर देखकर नीतीश और बीजेपी के होश उड़े, LJP को अब 30 सीट का ऑफर, 43 सीट से कम पर राजी नहीं चिराग

PATNA : बिहार की सियासत में चिराग पासवान को हल्के में ले रहे नीतीश कुमार के साथ साथ बीजेपी के भी होश उड़े हुए हैं. लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष के कड़े तेवर के बाद उनके मान-मनौव्वल की कोशिशें शुरू हो गयी हैं. जानकार सूत्र बता रहे हैं कि अब चिराग पासवान को 30 विधानसभा सीट के साथ साथ विधान परिषद की एक सीट ऑफर की जा रही है. लेकिन वे 43 सीट से कम पर राजी नहीं हो रहे हैं. दरअसल नीतीश कुमार और बीजेपी दोनों को अंदाजा है कि चिराग पासवान ने अगर पल्टी मार दी तो बिहार की सत्ता पर फिर के काबिज होने की उम्मीदों पर ग्रहण लग सकता है.




कल रात चिराग से मिलने पहुंचे भूपेंद्र यादव
दरअसल बिहार की सियासत में FIRST BIHAR JHARKHAND की खबर के बाद खलबली मच गयी थी. दो दिन पहले FIRST BIHAR JHARKHAND ने खबर चलायी थी कि चिराग पासवान ने अपने समर्थकों को हर परिस्थिति के लिए तैयार रहने को कह दिया था. अपने नेताओं से बातचीत में चिराग ने साफ कर दिया था कि जरूरत पड़ी तो वे गठबंधन का स्वरूप बदलने से लेकर अकेले चुनाव लड़ने को तैयार हैं. दरअसल चिराग पासवान बिहार में नीतीश कुमार और उनके दबाव में आयी बीजेपी के खेल से खासे नाराज थे.


जानकार सूत्र बताते हैं कि कल रात भूपेंद्र यादव रामविलास पासवान और चिराग पासवान से मिलने उनके घऱ पहुंच गये. पिछले एक सप्ताह में भूपेंद्र यादव दूसरी दफे रामविलास पासवान के घर पहुंचे थे. जानकारों की मानें तो इससे पहले भूपेंद्र यादव एलजेपी को काफी कम सीटों पर चुनाव लड़ने का ऑफर देकर आये थे. इसी ऑफर ने चिराग पासवान के सब्र का बांध तोड़ दिया था.




जानकार सूत्र बता रहे हैं कि कल रात रामविलास पासवान के घर पहुंचे भूपेंद्र यादव का बॉडी लैंग्वेज बदला हुआ था. कल रात नये सिरे से चिराग पासवान को सीटों का ऑफर दिया गया. जानकार बता रहे हैं कि अब बीजेपी ने लोक जनशक्ति पार्टी को विधानसभा की 30 सीट के साथ साथ विधान परिषद की एक सीट देने का ऑफर किया. एक प्रमुख नेता ने कहा कि कल भूपेंद्र यादव की भाषा से लेकर पूरा बॉडी लैंग्वेज ही बदला हुआ था.


कम से कम 43 सीट लेने पर अड़े चिराग पासवान
एलजेपी के अंदरखाने की खबर ये है कि चिराग पासवान कम से कम 43 सीट की मांग पर अड़े हुए हैं. वे एक-दो सीट के कम-ज्यादा होने की बात मान सकते हैं. लेकिन बहुत ज्यादा नीचे जाकर समझौता करने पर तैयार नहीं हैं. उन्होंने बीजेपी के वार्ताकार भूपेंद्र यादव को अपनी बात साफ साफ कह दी है.


नीतीश के होश उड़े हुए हैं
उधर सियासी हलके में चर्चा ये है कि चिराग पासवान को हल्के में ले रहे नीतीश कुमार को अंदाजा ही नहीं था कि चिराग इस तरह कड़ा तेवर अपना सकते हैं. शनिवार को जब चिराग ने अपनी पार्टी के नेताओं के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में साफ कर दिया कि वे अपने सम्मान के लिए कुछ भी कर सकते हैं तो नीतीश कुमार के कैंप में खलबली मच गयी. जेडीयू के एक नेता ने बताया कि जब FIRST BIHAR ने खबर चलायी तो उसके बाद बिहार के मुख्यमंत्री आवास में हलचल अचानक से बढ़ गयी. नीतीश कुमार के किचन कैबिनेट के लोग आनन फानन में वहां पहुंचे. जेडीयू के रणनीतिकारों की लंबी गुफ्तगूं हुई. चर्चा ये भी है कि इसके बाद नीतीश कुमार की अमित शाह और भूपेंद्र यादव से भी बातचीत हुई. इस प्रकरण के बाद नीतीश कुमार समेत बीजेपी के तेवर ही बदल गये.


महंगी पड़ सकती है चिराग पासवान की नाराजगी
दरअसल नीतीश कुमार और बीजेपी दोनों को ये बात समझ में आ रही है कि चिराग पासवान की नाराजगी मंहगी साबित हो सकती है. चिराग पासवान उपेंद्र कुशवाहा नहीं हैं, जिन्हें आसानी से निपटाया जा सके. बिहार के दलितों के एक खास वोट बैंक पर रामविलास पासवान और चिराग पासवान की बेहद मजबूत पकड़ है. ये तबका आक्रामक वोट बैंक माना जाता है. अगर वोटरों का ये तबका एनडीए से पल्ला झाड कर राजद-कांग्रेस के कैंप में चला जायेगा तो फिर एनडीए को दोगुना नुकसान हो सकता है.


वैसे भी विधानसभा चुनाव में 50 से 100 सीटें ऐसी होती हैं जहां जीत-हार का मार्जिन बेहद कम होता है. लोक जनशक्ति पार्टी ने अगर स्टैंड बदल लिया तो एनडीए को जितने वोटों का नुकसान होगा वह कई सीटों पर जीत के मार्जिन से ज्यादा होगा. मतलब साफ है कि रामविलास पासवान-चिराग पासवान अगर नाराज हुए तो एनडीए को कई सीटें खोनी पड़ जायेगी.


मामला सिर्फ यही तक सीमित नहीं रहेगा. अगर लोक जनशक्ति पार्टी पाला बदल ले तो फिर जनता के बीच जो मैसेज जायेगा वह भी अहम होगा. जेडीयू और बीजेपी ने आरजेडी और तेजस्वी यादव को जनता की नजर में कमजोर साबित करने की पूरी मुहिम छेड़ रखी है. लेकिन अगर एनडीए की सहयोगी पार्टी एलजेपी आरजेडी-कांग्रेस के साथ चली जाये तो RJD को लेकर वोटरों का परसेप्शन भी बदलेगा. विधानसभा चुनाव परिणाम में ये भी अहम रोल निभा सकता है.