उपचुनाव तक बीजेपी से पंगा नहीं लेंगे नीतीश: जातिगत जनगणना के मसले को ठंढ़े बस्ते में डाला, कहा- अगले महीने करेंगे बातचीत

उपचुनाव तक बीजेपी से पंगा नहीं लेंगे नीतीश: जातिगत जनगणना के मसले को ठंढ़े बस्ते में डाला, कहा- अगले महीने करेंगे बातचीत

PATNA : जातिगत जनगणना पर बीजेपी से आर पार की लडाई के मूड में आ रहे नीतीश कुमार के तेवर ठंढ़े पड गये हैं. केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का एलान किया ही था कि बिहार में उप चुनाव का एलान हो गया. नीतीश जानते हैं कि उप चुनाव में बीजेपी नाराज रही तो फिर उनका क्या होगा. लिहाजा आज जब पत्रकारों से जातिगत जनगणना पर नीतीश से सवाल पूछा तो उनके तेवर ऐसे नरम था जैसे कि उनकी मांग ही पूरी हो गयी हो. नीतीश बोले-उप चुनाव हो जाने दीजिये फिर इस मसले पर बात करेंगे.


ठंढ़े पड़ गये नीतीश
एक सप्ताह हुए जब नीतीश ने जातिगत जनगणना को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार को ललकारा था. नीतीश ने कहा था कि केंद्र सरकार का फैसला गलत है और वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे. नीतीश से तब सवाल पूछा गया था कि क्या  वे बीजेपी से अलग हो जायेंगे. नीतीश ने कहा था-वे सब से बात कर फैसला लेंगे. लेकिन इसी बीच बिहार में विधानसभा की दो सीटों पर उप चुनाव का एलान हो गया. इन दोनों सीटों पर जेडीयू चुनाव लड़ रही है. 


आज पत्रकारों ने नीतीश कुमार से पूछा कि जातिगत जनगणना के मामले पर उनके स्टैंड का क्या हुआ. नीतीश के तेवर नरम थे. केंद्र सरकार औऱ बीजेपी के खिलाफ आक्रोश कहीं दिख नहीं रहा था. बिहार के मुख्यमंत्री बोले-जातिगत जनगणना पर क्या करना चाहिये इसके लिए हमलोग सर्वदलीय बैठक करेंगे. हम सब की इच्छा से फैसला लेंगे. हमारे फैसले से कोई नाराज नहीं होगा. लेकिन पहले उप चुनाव निपट जाने दीजिये. उपचुनाव के बाद यानि अगले महीने इस पर बात करेंगे.


फिलहाल बीजेपी से कोई पंगा नहीं
जातिगत जनगणना पर करीब 10 दिन पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दायर कर कहा था कि जाति के आधार पर देश में जनगणना कराना संभव नहीं है. उसके बाद नीतीश कुमार केंद्र सरकार पर जमकर बरसे थे. तब तक नीतीश कुमार की पार्टी की हर बैठक में उनका छोटा-बड़ा नेता जातिगत जनगणना पर बीजेपी से निपट लेने की तैयारी कर रहा था. लेकिन इसी बीच बिहार में विधानसभा की दो सीटों पर उपचुनाव का एलान हो गया है. ये वो दो सीट हैं जहां पहले जेडीयू के विधायक हुआ करते थे. उनके निधन के कारण वहां उपचुनाव हो रहा है.


दरअसल नीतीश औऱ उनकी पार्टी समझ रही है कि अगर दोनों सीट हारे तो पीएम मैटेरियल क्या सीएम मैटेरियल भी नहीं रहेंगे. नीतीश ये भी समझ रहे हैं कि बीजेपी ने अगर सही से मदद नहीं की तो उप चुनाव में जीतना बेहद मुश्कल होगा. ऐसे में बीजेपी से टकराव के हर मुद्दे को नीतीश कुमार औऱ उनकी पार्टी से ठंढ़े बस्ते में डाल दिया है. जातिगत जनगणना से लेकर पीएम मैटिरियल की चर्चा अब कहीं नहीं की जा रही है.


दिलचस्प बात तो ये रही कि नीतीश कुमार ने उपचुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों का नाम बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष से जारी कराया. इसके लिए एनडीए की साझा प्रेस कांफ्रेंस बुलायी गयी. नीतीश को छोड़ कर जेडीयू के तमाम बड़े नेता उस प्रेस कांफ्रेंस में बैठे और एलान किया कि उप चुनाव में लड़ रहे उम्मीदवार जेडीयू के नहीं बल्कि एनडीए के उम्मीदवार हैं. 


हालांकि पटना में बैठकर भले ही जेडीयू औऱ बीजेपी में दांत कटी दोस्ती होने की बात कही जा रही है. जमीनी हकीकत कुछ औऱ है. 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद जेडीयू के छोटे-बड़े नेताओं ने जिस तरीके से बीजेपी को गालियां दी है, इससे उसके कार्यकर्ता बेहद नाराज हैं. अगर उन्होंने उप चुनाव में उस कड़वाहट को याद रखा तो फिर नीतीश के लिए आगे और मुश्किलें खडी होंगी.